अगर आपको गाय या भैंस खरीदने है तो इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। जैसे बाकी चीजों की शॉपिंग के लिए आप ऑनलाइन शॉपिंग का ऑप्शन अपनाते हैं। वैसे ही दुधारू भैंस की खरीद के लिए आप ऑनलाइन साइट या एप पर जा सकते हैं। यहां आपको अलग-अलग वैराइटी की भैंसें मिल जाएंगी।
आज इंडिया में ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रैंड लगातार स्पीड पकड़ रहा है। घर घर हर त्योहारों और ऑफर के दिनों में लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और अपना अच्छे खासे पैसे बचत करते हैं ।
यह ट्रैंड शहर की गलियों से निकलकर रूरल इलाकों यानि कि गावों की तरफ भी जोड़ शोर से बढ़ रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग का दायरा अब मोबाइल, कार और रीयल एस्टेट तक ही सीमित नहीं रह गया है।
टाउन व रूरल पार्ट तक इंटरनेट की पहुंच मजबूत होने से अब ऑनलाइन पशु मेला पर दुधारू भैंसों की खरीद-बिक्री के लिए भी लोग जोर शोर से आगे आ रहे हैं ऑर्डर कर रहे हैं और इसका लुत्फ उठा रहे हैं ।
ऑनलाइन पशु मेला में जुडने का फायदा
- आपको मीलों चलने की जरूरत नहीं होती
- घर बैठे दुधारू पशु ऑर्डर कर सकते हैं
- मेरापशु 360 एप से मुर्रा भैंस ऑर्डर करने पर फ्री डेलीवेरी दी जाती है
- ऑनलाइन पशु मेला में जुड़कर आप बहुत सारी पशु आसानी से देख सकते हैं उनकी जानकारी ले सकते हैं
- मेरापशु 360 एप से खरीदारी करने पर आपको आकर्षक ऑफर भी दिया जाता है
कौन सी भैंस खरीदें सही चयन कैसे करें
देखिए दुधारू पशुओं की गुणवत्ता का सीधा नाता पशुपालन से होने वाली कमाई से होता है। इसीलिए दुधारू पशु को चुनते वक़्त उसके व्यक्तित्व की अच्छी तरह से जाँच-पड़ताल करना बेहद ज़रूरी है।
इसके लिए पशु की नस्ल,उम्र,शारीरिक बनावट,दूध उत्पादन की क्षमता और प्रजनन सम्बन्धी सेहत के हरे एक पहलू पर बहुत सावधानी से ग़ौर करना चाहिए, क्योंकि पशुपालन के पूँजीगत निवेश और इसकी कमाई का सीधा सम्बन्ध पशुओं के गुण-अवगुण से होता है। इसीलिए भैंस खरीदें पर कुछ बातों का ध्यान जरूर दें ।
भैंस के चयन में सावधानियाँ बरतें
दुधारू पशु खरीदते वक़्त यथा सम्भव गर्भवती और पूरी तरह से रोगमुक्त भैस को चुनना चाहिए। इससे पशुओं की खरीदारी में लगी पूँजी से ज़्यादा और फ़ौरन आमदनी मिलना सुनिश्चित होता है।
दूसरी या तीसरी बार गर्भवती हुई भैंस को प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि ये पशुओं की जवानी का ऐसा वक़्त होता है जब वो अपनी अधिकतम क्षमता में दूध देते हैं। कोशिश ऐसी भैंस को खरीदने की करनी चाहिए जो करीब महीने भर पहले बियाई हो और जिसके साथ उसका मादा बच्चा यानी बछड़ी भी हो।
इससे भविष्य के लिए एक और दुधारू पशु प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
दुधारू भैंस की शारीरिक बनावट कैसी
सही और सटीक जानकारी होन बहुत जरूरी है
जिससे आपको कभी ठगी का सामना नहीं करना पड़ता है । हमेशा ध्यान दें
- दुधारू भैंस की शारीरिक बनावट सुडौल होनी चाहिए।
- उसका शरीर आगे से पतला, पीछे से चौड़ा, नथुना खुला हुआ, जबड़ा मज़बूत
- आँखें चमकदार और उभरी हुई होनी चाहिए
- त्वचा चमकीली,होनी चाहिए
- पूँछ लम्बी, पीठ चौड़ी और समतल, कन्धा पुष्ट, गर्दन और जाँघ लम्बी तथा पतली होनी चाहिए
- छाती तथा पेट ढंग से विकसित होना चाहिए।
- थनों को लम्बा, मोटा और परस्पर समान दूरी पर होना चाहिए।
- इसकी त्वचा कोमल होनी चाहिए ।
इसे ध्यान में रखते हुए ही आप भैंस खरीदें ताकि आगे बेहतर रिटर्न आपको मिल सके ।
दूध उत्पादन क्षमता देखना जरूरी
भैंस को खरीदने से पहले उसे दो-तीन बार ख़ुद दूहना चाहिए या अपने सामने ही दूहवाना चाहिए। ताकि उसकी सही दूध उत्पादक क्षमता का पता लग जाये। दूहते समय दूध की धार सीधी गिरनी चाहिए और दूहने के बाद थनों को सिकुड़ जाना चाहिए। भैंस के थनों पर दिखने वाली दूध की शिराएँ जितनी मोटी और उभरी हुई होंगी, पशु उतना ज़्यादा दूध देने वाला होगा।और जितना ज़्यादा दूध देने वाला होगा आपको फायदा भी उतना ही ज्यादा मिलेगा ।
गर्भाशय और थनैला की जाँच अवस्य करें
पशुओं को खरीदते वक़्त यदि कोई जानकार या पशु चिकित्सक हो, तो उससे गर्भाशय की जाँच करवा लेना बहुत उपयोगी साबित होता है, क्योंकि कभी-कभार पशु की पहचान करने में धोखा हो जाता है। इसी तरह थनों की भी बारीकी से जाँच करनी चाहिए कि उनमें थनैला रोग की आशंका वाली गाँठ और सूजन वग़ैरह के लक्षण तो नहीं हैं। ऐसे पशु को भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए। याद रखें दुधारू पशुओं को खरीदने से पहले ये सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि उनका सही वक़्त पर टीकाकरण हो चुका है।
प्रजनन क्षमता और वंशावली
हमेशा ऐसे पशुओं को खरीदने का प्रयास करना चाहिए जिनके माँ-बाप,जन्म और प्रजनन इतिहास का ब्यौरा मालूम हो। ऐसे रिकार्डधारी दुधारू पशुओं को चयन में प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि पशु को इतिहास में गर्भपात होने, स्वास्थ्य बच्चा नहीं होने, प्रसव में कठिनाई होने जैसी समस्याएँ हों तो उन्हें नहीं खरीदना चाहिए।
सन्तान उत्पादन जानकारी
दुधारू पशुओं का चुनाव उनकी सन्तान पैदा करने की क्षमता के आधार पर करना चाहिए। ज़्यादा सन्तान पैदा करने वाले पशुओं से ज़्यादा कमाई होती है। सन्तानोपत्ति क्षमता का सीधा नाता पशु के माता-पिता के आनुवंशिक गुणों से होता है। एक आदर्श भैंस साल में एक सन्तान दे सकती है। एक बार बियाने के तीन महीने बाद गाय का फिर से गर्भधारण कर लेना बहुत अच्छा माना जाता है। पशु के दो बार बियाने के बीच 14-15 महीने का अन्तराल होना चाहिए।
पशु की आयु की पहचान कैसे करें
आप कभी भैंस खरीदें तो इन बताए गए फॉर्मूले से आप अपने पशु की आयु की पहचान कर सकते है ।
- दाँत: दाँतों को देखकर नयी और पुरानी भैंस की सटीक पहचान की जाती है। भैंस के निचले जबड़े में स्थायी दाँतों के चार जोड़े विकसित होते हैं। लेकिन ये सभी एक साथ नहीं निकलते। दाँतों का पहला जोड़ा करीब पौने दो साल की उम्र में निकलता है।
- सींग: भैंस के सींग में बनने वाले छल्लों से भी उनकी सही उम्र जानने में मदद मिलती है। मसलन, सींग की जड़ में पहला छल्ला अक्सर तीन साल की उम्र में विकसित होता है। इसके बाद उम्र बढ़ने के साथ हर साल एक-एक छल्ला बढ़ता रहता है। सींग पर उभरे छल्ले की संख्या में दो का अंक जोड़कर भैंस की सही आयु का पता लगाया जाता है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप अच्छी नस्ल वाली दुधारू भैंस खरीद सकते हैं ।